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Call Before U Dig App : 3 हजार करोड़ के नुकसान को कम करने के लिए PM Modi ने लॉन्च किया ये App

Call Before U Dig App : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 6जी विजन डॉक्यूमेंट और इसके लिए टेस्ट बेड लॉन्च किया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने आज कॉल बिफोर यू-डीआईजी नामक एक मोबाइल एप्लिकेशन का भी शुभारंभ किया। दूरसंचार विभाग ने इस ऐप की शुरुआत की है। दरअसल, इस ऐप को इसलिए लॉन्च किया गया है ताकि सरकारी पैसे की बचत की जा सके. अब तक देश में अगर कोई नया प्रोजेक्ट या टेंडर शुरू होता था तो सीधे उस प्रोजेक्ट पर एजेंसियां काम करना शुरू कर देती थीं।

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ऐसे में खुदाई के दौरान जमीन के नीचे छिपी भूमिगत केबल या पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हो जाती थी जिससे कई हजार करोड़ का नुकसान होता था. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक YouTube चैनल द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो के अनुसार, हर साल विकास संबंधी गतिविधियों के कारण, भूमिगत केबलों के कटने या पाइपलाइन के क्षतिग्रस्त होने से सरकार को लगभग 3,000 करोड़ का नुकसान होता है।

यह यू-डीआईजी का लाभ है

इन सब से बचने के लिए और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को बचाने के लिए दूरसंचार विभाग ने यू-डीआईजी मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया है। इसके तहत खुदाई करने वाली एजेंसियां या टेलीकॉम कंपनियां पहले से पता लगा सकती हैं कि जिस क्षेत्र में वे काम करने जा रही हैं वहां किस कंपनी की पाइपलाइन या केबल लाइन बिछाई जा रही है और उस कंपनी आदि का ब्यौरा क्या है। कि केबल वायर या पाइप लाइन को ध्यान में रखकर काम किया जाएगा और सरकार व जनता के इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान नहीं होगा. कई बार केबल तार खराब होने से लोगों को कई-कई दिनों तक परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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अगर हम आपको आसान शब्दों में समझाएं तो अगर आपके क्षेत्र में सड़क या अंडरग्राउंड सीवर लाइन का काम शुरू होना है तो सबसे पहले खुदाई की जाती है. अब तक खुदाई करने वाली एजेंसियां सीधे काम शुरू करती थीं। ऐसे में कई बार अंडरग्राउंड पाइप लाइन या तार खराब हो जाते। लेकिन अब U-DIG ऐप के आने के बाद ऐसा नहीं होगा और नुकसान को कम किया जा सकेगा.

6G टेस्टबेड लॉन्च किया

इस ऐप के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 6जी विजन डॉक्यूमेंट और इसके लिए टेस्ट बेड सेंटर की घोषणा की। टेस्टबेड एक तरह का प्लेटफॉर्म है, जहां नई तकनीक आदि की टेस्टिंग की जाती है। किसी भी प्रोजेक्ट या तकनीक को बड़े पैमाने पर लाइव करने से पहले उसी प्लेटफॉर्म या छोटे वातावरण में उस पर काम किया जाता है।

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